कुछ पंक्तियाँ समर्पित है मेरे दोस्तों को और उन सभी लोगों को जो अपने हॉस्टल और कॉलेज के दिनों को याद करते हैं।
उन 4 सालों की यादों को, उन बेशकीमती लम्हो को,
उन अनगिनत रातो को, उन अनकही बातो को,
मैं फिर जी लेना चाहता हूँ।
चंद पल मैं ऐसे चाहता हूँ, मैं फिर जी लेना चाहता हूँ।
यारों से मिलना चाहता हूँ, गले लगाना चाहता हूँ,
संग उनके खेलना चाहता हूँ, खेल के झगड़ना चाहता हूँ,
वो तू तू मैं मैं चाहता हूँ, फिर गले लगाना चाहता हूँ,
चंद पल मैं ऐसे चाहता हूँ, मैं फिर जी लेना चाहता हूँ।
उन चाय के स्टॉलों में, उन गुमनाम आहतों में,
उन बेपरवाह कशों में, उन मदमस्त नशों में,
मैं फिर जी लेना चाहता हूँ।
चंद पल मैं ऐसे चाहता हूँ, मैं फिर जी लेना चाहता हूँ।
यारों से मिलना चाहता हूँ, मिल के हँसना चाहता हूँ,
हँस के पीना चाहता हूँ, पी के फिर रोना चाहता हूँ,
रो के फिर हँसना चाहता हूँ, हँस के फिर जीना चाहता हूँ।
चंद पल मैं ऐसे चाहता हूँ, मैं फिर जी लेना चाहता हूँ।
उस दीवानगी में, उस पागलपन में,
उस मस्ती में, उस उन्मुक्त गगन में,
मैं फिर जी लेना चाहता हूँ।
चंद पल मैं ऐसे चाहता हूँ, मैं फिर जी लेना चाहता हूँ।
The views expressed in this blog are generally not oriented to certain political or social view. These blogs are my analysis, criticism and suggestion to current affair, political or social situation. Some of blogs are Hindi poem which are generally social or political satires.
Sunday, January 26, 2014
Thursday, January 23, 2014
We the people
Why we the people, are so much divided on the basis of political
party? If somebody from one party whom we don't follow, do something good, we
would like to sit tight and not prefer to clap. But if somebody from that party
does something wrong, we will start criticizing him to any extent. We do the same thing from
a party which we support. We don't criticize the leaders for doing wrong,
implementing wrong policies and try to defend him, but he does something small
and do market that piece well, we follow him to spread that piece of work as if
that is world's 8th wonder.
We the people, have
so much power in the democracy. Why have we become follower of one party or one
philosophy? For example, as a right wing follower one must oppose BJP's FDI
policy. BJP has changed their stand on FDI just to oppose Congress. One must
oppose the inclusion of people like Yedurappa in BJP. But we the people who
follow BJP just want to follow what the leadership of this party says, not the
actual philosophy of the party or not what one think is good for country. As a
follower of AAP, one should protest the kind of drama they have done in name of
protest against police. They should oppose the method of madness followed by
the leadership of the party, unruly and unlawful behavior.
We the people must not be follower of one particular party
or leader. We the people are sentinel of democracy and judging
these politicians and parties all the time and send them right signals. We don’t
need to promote a particular political party but we should be promoting the
idea of India. The true democracy relies on how vibrant and dynamic we, the
people are.
Sunday, January 12, 2014
आज
कुछ पंक्तियाँ समर्पित है मेरे दूरदर्शी और महत्वाकांझी दोस्तों के लिए।
कल के चक्कर में क्यों लगे हो यारों आज,
कि कल किये होते कुछ तो अच्छा होता आज।
या कल को बनाना है तो गंवाना होगा आज,
जब खो गया होगा कल तो क्या मिल जायेगा आज।
वो कल तुम्हारा नहीं है जिसके लिए बना रहे हो ताज़,
जो कुछ भी तुम्हारा है वो है सिर्फ आज।
कहता हूँ एक बात जो है जीवन का राज,
कल कभी नहीं लौट के आएगा आज।
जो कल तुम ढूंढ रहे हो वो भी है आज,
जी लो रे भैया जी भर के जिंदगी आज,
जो भी है, वो सब है, केवल आज केवल आज॥
कल के चक्कर में क्यों लगे हो यारों आज,
कि कल किये होते कुछ तो अच्छा होता आज।
या कल को बनाना है तो गंवाना होगा आज,
जब खो गया होगा कल तो क्या मिल जायेगा आज।
वो कल तुम्हारा नहीं है जिसके लिए बना रहे हो ताज़,
जो कुछ भी तुम्हारा है वो है सिर्फ आज।
कहता हूँ एक बात जो है जीवन का राज,
कल कभी नहीं लौट के आएगा आज।
जो कल तुम ढूंढ रहे हो वो भी है आज,
जी लो रे भैया जी भर के जिंदगी आज,
जो भी है, वो सब है, केवल आज केवल आज॥
Friday, January 10, 2014
आप
दिल्ली में पहले किया हैरान पहले आप पहले आप ने,
फिर आप के कहने पर सरकार भी बनायीं आप ने ।
पर अब था आम आदमी का हाथ , आप के साथ ।
ये सब हो रहा था कि
मैं भी हो गया आप ,
वो भी हो गए आप ,
तुम भी हो गए आप ,
और हम भी हो गए आप ।
पर क्या आप होंगे 'आप ' ?
फिर आप के कहने पर सरकार भी बनायीं आप ने ।
पर अब था आम आदमी का हाथ , आप के साथ ।
ये सब हो रहा था कि
मैं भी हो गया आप ,
वो भी हो गए आप ,
तुम भी हो गए आप ,
और हम भी हो गए आप ।
पर क्या आप होंगे 'आप ' ?
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